तेरे दरबार में सर झुकाती रहूं ।
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
तेरे चरणों की सेवा, और भक्ति मिले,
तेरे चरणों में रहकर, ही मुक्ति मिले ।
मन के मंदिर में, तुझको सजाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
तेरे दरबार में सर झुकाती रहूं ।
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
नाम से तेरे मुझको, है शोहरत मिली,
मुझको दौलत भी, तेरी बदौलत मिली ।
कर कृपा मान, सम्मान पाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
तेरे दरबार में सर झुकाती रहूं ।
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
आरजू दिल की चौखट, ना छूटे कभी,
तार तुझसे जुड़ा, वो ना टूटे कभी ।
सांसे जब तक चले, भजन गाती रहूं,
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
तेरे दरबार में सर झुकाती रहूं ।
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
तेरे दरबार में सर झुकाती रहूँ ।
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं