रंग डाला सिंदूर से तन लाल है।
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जब भी बुलाओ चली आऊंगी, गणपति तेरे भवन में।
जब लाल तुम्हारा हूँ,
तो और कहाँ जाऊंगा,
मां अंजनी के लाल तूं,करता कमाल है
गणेश चतुर्थी आई,भगतां के मस्ती छाई।
गणपत बलकारी जी फतेह म्हारी आज करो
सारे संकट को हरने,गणेश निकले।
चाहे सुख हो चाहे दुःख हो,गणपति मेरे साथ है।
गणपति लाल को खिलाय रही पार्वती।