बन गए नन्दलाल लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी
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लाल ध्वजा तेरी लहराई जय हनुमत जय बलदाई।
कैसो खेल रच्यो मेरे दाता,
जित देखू उत तू ही तू,
सावन आयो आओ नंदलाल,
तुम आइयो गोपाल,मोहे लेने तुम आइयो
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे ॥
दुनिया से ना कोई आस करो,
बस आस करो एक गिरधर की,
मुझे राधे राधे कहना सिखादे,
कन्हिया तेरा क्या बिगडे।
होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।