बैठी हो मां सामने कर सोलह श्रृंगार
Tag: Aai singh pe sawar maiya
खाले डट के रे भोग लगाले डट के।
दादी चुनरी मुलायी,तने भाई की ना भाई
आई सिंह पे सवार मैया ओढ़े चुनरी
आया सावन बड़ा मनभावन,रिमझिम सी पड़े फुहार
सावन में झूला झूल रहे,राधे संग कुंज बिहारी।
मैया मोरे सर पे सेहरा सजा दो,
सावन का महीना घटाएं घनघोर