दोय दोय गुजारियां के बीच में, अकेलो कानुडो।
Tag: Sawan me jhula jhul rahe
कन्हैया लाल घड़लो म्हारो,भर दे रे।
झूला में बैठ्यों आज म्हारो, श्याम ललो।
जादू भरी है बनवारी,श्याम मुरली तुम्हारी।
सावन में झूला झूल रहे,राधे संग कुंज बिहारी।
दोय दोय गुजारियां के बीच में, अकेलो कानुडो।
कन्हैया लाल घड़लो म्हारो,भर दे रे।
झूला में बैठ्यों आज म्हारो, श्याम ललो।
जादू भरी है बनवारी,श्याम मुरली तुम्हारी।
सावन में झूला झूल रहे,राधे संग कुंज बिहारी।