कैलाश पर्वत पर जाकर रहूंगी।भोले को अपना बना के रहूंगी।
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मेरी छोड़ दे चुनरिया भोलेनाथ सवेरे बूटी लेकर आऊंगी
भोले तेरी आई याद कि भोले आ जाना।
भोले बाबा से पार्वती रूठ गई रे, गजब भयो रामा जुलम भयो रे।
कैलाश के निवासी नमू बार बार हूं , नमू बार बार हूं।
जब रूठ गये शिव शम्भु जा कैलाश पे गाड़े तंबू
शिव शंकर भोले नाथ, तेरा डमरू बाजे पर्वत पे।
हो भोले तेरे पर्वत पे कैसे छा रही छटा निराली है।
भोले बाबा ये क्या हो रहा है।पाप हंसता धर्म रो रहा है।
गोपी बने भोलेनाथ ब्रज में गोपी बने।
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