खाले डट के रे भोग लगाले डट के।
Tag: chunar to odh mhari dadi
दादी चुनरी मुलायी,तने भाई की ना भाई
आई सिंह पे सवार मैया ओढ़े चुनरी
थाने पलकां में छिपालयां,थाने हिवड़े से लगालयां,
कठे सुं ल्याऊँ पांख कठे सुं ल्याऊँ घोड़ी,
झुंझनु वाली दादी ये बुलावां थाने आज।
तेरी मेरी करता सारों जनम गवांयो।
तनधन की पटरानी भजो रे मन नाराणी
आए सजधज के बाराती हैं
दादी थारो रूप मन भायो,जियो हर्सायो
You must be logged in to post a comment.