तर्ज,नटवर नागर नंदा
तनधन की पटरानी, भजो रे मन नाराणी।२
शहर झुंझुनू माय विराजे। रानी सती को मंदिर साजे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 गुंजत सत की वाणी, भजो रे मन नाराणी।तनधन की पटरानी, भजो रे मन नाराणी।
भादवे की मावस को तेरे। मंदिर जाते लोग घनेरे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पूजत लाखों प्राणी।भजो रे मन नाराणी।तनधन की पटरानी, भजो रे मन नाराणी।
घर-घर में है मान तुम्हारो। भक्तों का सब कारज सारों। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹सतीयों की महारानी।भजो रे मन नाराणी।तनधन की पटरानी, भजो रे मन नाराणी।
कुमकुम पान सिंदूर चढ़ाते। चरण कमल में शीश नवाते। करते सब अगवानी।🌹🌹🌹 भजो रे मन नाराणी।तनधन की पटरानी, भजो रे मन नाराणी।
सेवक कि सब आशा पूरो। रहे न कोई कर्म अधूरो। ऐसी हो मेहरबानी।🌹🌹🌹🌹🌹भजो रे मन नाराणी।तनधन की पटरानी, भजो रे मन नाराणी।
रानीसती को जो कोई ध्यावे। कोई विपदा निकट ना आवे। करे सती निगरानी।भजो रे मन नाराणी।तनधन की पटरानी, भजो रे मन नाराणी।