चुनर तो ओढ म्हारी दादी सिंहासन बैठी जी
Tag: chunar to odh mhari dadi
एकबार आओ जी दादीजी पावना
सावन को महीनो, मन में उठे हिलोर।
गाजे-बाजे से पधारो दादी आज, उड़ीके थारा टाबरिया।
दादी चुनरिया थारी चमचम चमके
भीड़ पड़यां थाने आयां सरसी। यो दुःखडो तो मिटायां सरसी।
नाराणी लियो अवतार, बधाई सारे भक्ता ने।
मंगल गीत सुनाओ, बंदनवार बंधाओं।
ल्याया थारी चुंदड़ी करलयो मां स्वीकार
मोटी सेठानी म्हारो बेड़ो पार लगानो पडसी ये
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