तर्ज,रेशमी सलवार कुर्ता जाली
जाओ मेरे हनुमान बूटी ले आओ। लखन के रखो प्राण बूटी ले आओ।
मेरी आंखों का तारा, भूमि पर गिरा बेचारा। वह मुख से कुछ ना बोले।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺वो नैन को अपने ना खोले,प्राण बचा जाओ।लखन के रखो प्राण बूटी ले आओ।
जाओ मेरे हनुमान बूटी ले आओ। लखन के रखो प्राण बूटी ले आओ।
मैं क्या मूह लेकर अपना, अयोध्या को जाऊंगा। मैया से कैसे आंखें, मैं अपनी मिला पाऊंगा। बात बतला जाओ।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺लखन के रखो प्राण बूटी ले आओ।
जाओ मेरे हनुमान बूटी ले आओ। लखन के रखो प्राण बूटी ले आओ।
है कुल के देवता सूरज, तुम उदय नहीं हो जाना। तुम उदय हुए तो निश्चित मेरे प्राणों का जाना।वचन यह ले जाओ।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺लखन के रखो प्राण बूटी ले आओ।
जाओ मेरे हनुमान बूटी ले आओ। लखन के रखो प्राण बूटी ले आओ।
लगा चरण धूल से चंदन, हनुमत बूटी ले आए। प्रभु राम की लाज तो राखी लक्ष्मण के बचाये प्राण,वो काज बनाए है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺बूटी वाला पर्वत हनुमत लाए हैं।
जाओ मेरे हनुमान बूटी ले आओ। लखन के रखो प्राण बूटी ले आओ।
राम प्रभु के काज सारे बनाए हैं।बूटी वाला पर्वत हनुमत लाए हैं।