चारभुजा रा नाथ थारी,
सेवा करा दिन रात,
Tag: Ab me raat nind na soyi
यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे।
आधा है चंद्रमा रात आधी। रह न जाए मैया मुलाकात आधी मैया बात आधी।
बीती आधी रात हनुमान भी ना आए,
चौरासी की नींद में, म्हारां सतगुरु आके जगा रे दिया,
अब मैं रात नींद ना सोयी
रे कान्हा तेरी याद में।
मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे।
लंबी हो जा रात, श्याम घर आए हैं।