घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।
पैदल पैदल चलना पड़ेगा, न है वाहन सवारी।वहां वन में दुख अति भारी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।
धरती पे तुम्हें सोना पड़ेगा, न है पलंग पसारी। वहां वन में दुख अति भारी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।
कंद मूल फल खाने पड़ेंगे, न है भोजन थाली। वहां वन में दुख अति भारी।🌺🌺🌺🌺🌺घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।
म्रग पक्षी से बातें करनी पड़ेंगी, न वहां सखियां तुम्हारी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 वहां वन में दुख अति भारी।घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।
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घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।