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राम भजन लिरिक्स

Ghar rah jao janakdulari,घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी,ram bhajan

घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।

घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।

पैदल पैदल चलना पड़ेगा, न है वाहन सवारी।वहां वन में दुख अति भारी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।

धरती पे तुम्हें सोना पड़ेगा, न है पलंग पसारी। वहां वन में दुख अति भारी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।

कंद मूल फल खाने पड़ेंगे, न है भोजन थाली। वहां वन में दुख अति भारी।🌺🌺🌺🌺🌺घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।

म्रग पक्षी से बातें करनी पड़ेंगी, न वहां सखियां तुम्हारी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 वहां वन में दुख अति भारी।घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।

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