थारी मोह माया ने छोड़ ,
राम ने भज रे ।
Tag: aarti shree Ramayan ji ki
जिनके मन में बसे श्री राम जी उनकी रक्षा करें हनुमान जी।
होके नाचूँ अब दिवाना मैं प्रभु श्री राम का,
धन्य वह घर ही है मंदिर,
जहाँ होती है रामायण,
इक चुटकी सिन्दूर माँग भरी जो, मिल जाते मैया को मेरे श्री राम,
याद किया ना कभी श्याम को, बस माया ही जोडी।
हमें निज धर्म पर चलना बताती रोज रामायण।
जितनी कमा ले माया, साथ ना जानी
चंदा भी देख शरमाया,सिया जी तुम्हे किसने सजाया।
तुम उठो सिया सिंगार करो,शिव धनुष राम ने तोड़ा है।
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