जानकी प्यारी के, जनक दुलारी के, मन में बसे हैं श्री राम
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राम राम सा साधन ही, मुक्ति का द्वार है
तेरे सिर पर गठरी पाप की, तेरे लगी भरम की भूल, भक्ति कर भगवान की।
नौलख तारां बीच चन्द्रमा, म्हारे सतगुरु चंद्रभान।
देखो राजा बने महाराज,आज राम राजा बने,
बाल समय रवि भक्ष लियो, तब तिनहुं लोक भयो अंधियारो