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hanuman chalisa हनुमान चालीसा

Bal samay ravi, बाल समय रवि भक्ष लियो, संकट मोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रवि भक्ष लियो, तब तिनहुं लोक भयो अंधियारो

बाल समय रवि भक्ष लियो, तब तिनहुं लोक भयो अंधियारो।ताहि सो त्रास भयो जग को,यह संकट काहू सौं जात न टारों।🌹🌹देवन आनी करी विनती,तब छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारों।को नहीं जानत है जग में कपि,संकट मोचन नाम तिहारो।

बाली की त्रास कपिस बसैं गिरी,जात महाप्रभु पंथ निहारों। चौंकी महामुनि श्राप दियो तब,चाहिए कौन उपाय विचारों।🌹🌹🌹🌹के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास को शोक निवारो।को नहीं जानत है जग में कपि,संकट मोचन नाम तिहारो।

अंगद के संग लेन गए सीय,खोज कपिस यह बैन उचारो।जीवित ना बचिहौं हम सौ जू,बिना सुधि लाय इहां पग धारो।🌹🌹🌹🌹🌹 हेरी थके तट सिंधू सबै तब, लाय सिया सुधि प्राण उबारों।को नहीं जानत है जग में कपि,संकट मोचन नाम तिहारो।

रावण त्रास दई सिय को तब, राक्षसी सो कहीं शोक निवारो।ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,जाय महा रजनीचर मारो।🌹🌹🌹चाहत सिय अशोक सौ आगी सु,दे प्रभु मुद्रिका शोक निवारो।को नहीं जानत है जग में कपि,संकट मोचन नाम तिहारो।

बाण लग्यों उर लक्ष्मण के जब,प्राण तजे सूत रावण मारो।ले गृह वैद्य सुषेण समेत, तबई गिरी द्रोण सु बीर ऊबारो।🌹🌹🌹🌹🌹आनी संजीवन हाथ दई तब, लक्ष्मण के तुम प्राण ऊबारो।को नहीं जानत है जग में कपि,संकट मोचन नाम तिहारो।

रावण युद्ध अजान कियो तब,नाग की फांस सबै सिर डारो।श्री रघुनाथ समेत सबै दल,मोह भयो यह संकट भारो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹आनी खगेस तबै हनुमान जू, बंधन काटी सूत्रास निवारो।को नहीं जानत है जग में कपि,संकट मोचन नाम तिहारो।

बंधु समेत जबै अहिरावण, ले रघुनाथ पाताल सिधारो। देवहीं पूजी भली विधि सो बली,देव सबै मिलि मंत्र विचारो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावण सैन्य समेत संहारो।को नहीं जानत है जग में कपि,संकट मोचन नाम तिहारो।

काज कीये बड़ देवन के तुम,वीर महाप्रभु देखि विचारो। कोन सो संकट मोर गरीब को,जो तुमसौ नही जात है टारो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 बेगी हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो।को नहीं जानत है जग में कपि,संकट मोचन नाम तिहारो।

लाल देह लाली लसै,अरु धरि लाल लंगूर।वज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपीसुर।यह अष्टक हनुमान को, विरचित तुलसीदास।गंगादास जो प्रेम से,पढ़े होय दुःख नाश।

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