कोयल वाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा,
Category: विविध भजन
देवी रो अगवाणी भैरूजी ,घुघरियाँ घमकावे ।
नीले घोड़े रा असवार,
म्हारा मेवाड़ी सरदार,
राणा सुणता ही जाजो जी,
राम नाम का सुमिरन करले,फेरे प्रेम की माला।
लोक और परलोक सुधरग्या ,
करले काम भलाई को।
हल्दीघाटी में समर लड्यो,
वो चेतक रो असवार कठे।
भगती रा मारग झीणा, रे संतों,भगती रा मारग झीणा।
पहला जेड़ा प्रेम,
हमेशा कोनी रेवे ओ ।
दुनिया पैसों की पुजारी,
पूजा करते नर और नारी,
करना है तो कोई पुण्य करम कर ,
लेना है तो ज्ञान ले।
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