बंदा तेरी कौड़ी लगे ना छिदाम,बहुत पुराना भजन
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
तीन बार भोजन भजन एक बार
म्हारा जूना जोशी राम मिलन कद होसी।
एक डोली चली,एक अर्थी चली।
चरखा रो भेद बता दे रे,कातन वाली नार
सजन रे झूठ मत बोलो,खुदा के पास जाना है।
कंचन वाली काया हो,सैलानी म्हें तो पावणा।
बड़े प्यार से मिलना सब से, दुनियां में इंसान रे।
राम नाम से तूने बंदे,क्यों अपना मुंह मोड़ा।
तोड़ चलेगा जग से नाता, सदा सदा सो जायेगा
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