बंदा तेरी कोड़ी लगे न छीदाम। भजता क्यों ना हरीजी को नाम। रटता क्यों ना प्रभुजी को नाम।।
दांत दिया री मुखड़े की शोभा,जीभ देई री रट नाम। नैन दिया री दर्शन करने को,कान दिया री सुन ज्ञान। भजता क्यों ना……. रटता क्यों ना…।।१
बंदा तेरी कोड़ी लगे न छीदाम। भजता क्यों ना हरीजी को नाम। रटता क्यों ना प्रभुजी को नाम।।
पांव दिया री तीरथ करने को,हाथ दिया री कर दान। देह देयी री उपकार करने को,बोली देई री गुणगान। भजता क्यों ना…. रटता क्यों ना……।।२
बंदा तेरी कोड़ी लगे न छीदाम। भजता क्यों ना हरीजी को नाम। रटता क्यों ना प्रभुजी को नाम।।
बुद्धि देयि री सत काम करने को, लक्ष्मी दई री कर दान। विद्या देई री औरन को सुधारो, हरी चरण में रख ध्यान। भजता क्यों ना प्रभुजी को नाम.. ।।३
बंदा तेरी कोड़ी लगे न छीदाम। भजता क्यों ना हरीजी को नाम। रटता क्यों ना प्रभुजी को नाम।।
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