राम नाम से तूने बंदे,क्यों अपना मुंह मोड़ा। दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा।दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा।
बचपन बीता खेलकूद में,भरी जवानी सोया। देख बुढापा आया तो फिर, पकड़ के लाठी रोया। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 अब भी राम सुमर ले नहीं तो, पड़ेगा काल हथोड़ा। दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा।
अमृतमय है नाम हरी का, तूं अमृतमय बन जा। मन मैं ज्योत जगा ले हरि की, हरीके रंग में रंग जा। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 डोर जीवन की सौंप हरीको,नही पड़ेगा फोड़ा।दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा।
क्या लाया क्या ले जाएगा, क्या पाया क्या खोया। वैसा ही फल मिले यहां पर,जैसा तूने बोया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 काल शीश पर बैठा इसने,किसीको ना है छोड़ा।दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा।
मन के कहे जो चलते है वो, दुःख ही दुःख है पाते।माया के वश में जो हैं वो,घोर नरक में जाते।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जो भी अजर अमर बनते थे,उनका भी भ्रम तोड़ा।दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा।
राम नाम से तूने बंदे,क्यों अपना मुंह मोड़ा। दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा।दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा।