सीता ने न्योता भिजवाया,हनुमत को बुलवाया।
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श्याम नगीना बन जाते,
तो नथनी में जड़ाते,
हनुमान पियारा आज बचादे मेरा बीर।
होके नाचूँ अब दिवाना मैं प्रभु श्री राम का,
चंदा भी देख शरमाया, कान्हा जी तुम्हे किसने सजाया।
मन राधेश्याम सीताराम रट रे
तेरे संकट जाएंगे कट रे।
मंदिरों से मां ने टेलीफोन किया है।
ओ झुँझन वाली माँ,
क्या खेल रचाया है,
चीर के छाती बोले अपनी पवन पुत्र हनुमान,
म्हारे री बगड़ में
आइये मेरी मां
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