ये देश बेगाना है छोड़ इसे जाना,
आँख जरा खोल रे
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
ऐसा ऐसा लगन लिखाया गुरुजी मारा,
ऐसा ऐसा लगन लिखाया रे,
अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।
सुरता हल्की दे दे रोवेगी, जद चालेगी अकेली।
एसो कोई नहीं रे, हीरा को परखैया राम कोई नहीं रे।
सकल हंस में राम बिराजे ,
राम बिना कोई धाम नहीं।
जीवन है तेरा कोरा कागज मन है कलम सियाही
म्हारी अजब बाग़ गुलज़ार
रंग रंग रा फूल खिले रे,
बुढिया तन्नैं भी होणा हे, हे सुण चमक चुंदड़ी आली।
कैसे बैठा रे आलस में मुख्य से राम कह्यो न जाये,
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