अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।
घर गया कामण लड़े म्हारी हेली ,
भाई गिणे नहीं भीर ।
ज्यांरा मुरसद घरे नहीं म्हारी हेली ,
नैणां में बरसे नीर ।
अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।
कर जोड्या कामण खड़ी म्हारी हेली ,
ओढ़ण बहु रंग चीर ।
सतगुरु मिळिया म्हाने सागड़ी म्हारी हेली ,
आछी बंधाई धीर ॥
अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।
काय रे बादळिया री छांवली म्हारी हेली ,
काँई नुगरां री प्रीत ।
काँई रे नाडोल्यां में नावणो म्हारी हेली ,
पड़ियो समद में सीर ॥
अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।
हर दरियाव अथंग जळ भरियो हेली ,
हंसा चुगे नित हीर ।
शबद भळाऊ संग ले चलो म्हारी हेली ,
कह गया दास कबीर ।
अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।