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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Ab kaise howe jag me jiwano mhari heli laga shabad ra tir,अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,लागा शब्द रा तीर,nirgun bhajan

अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।

अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।

घर गया कामण लड़े म्हारी हेली ,
भाई गिणे नहीं भीर ।
ज्यांरा मुरसद घरे नहीं म्हारी हेली ,
नैणां में बरसे नीर ।
अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।

कर जोड्या कामण खड़ी म्हारी हेली ,
ओढ़ण बहु रंग चीर ।
सतगुरु मिळिया म्हाने सागड़ी म्हारी हेली ,
आछी बंधाई धीर ॥
अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।

काय रे बादळिया री छांवली म्हारी हेली ,
काँई नुगरां री प्रीत ।
काँई रे नाडोल्यां में नावणो म्हारी हेली ,
पड़ियो समद में सीर ॥
अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।

हर दरियाव अथंग जळ भरियो हेली ,
हंसा चुगे नित हीर ।
शबद भळाऊ संग ले चलो म्हारी हेली ,
कह गया दास कबीर ।
अब कैसे होवे जग में जीवणो म्हारी हेली ,
लागा शब्द रा तीर ।

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