चारूं पल्ला सुवा मोर मोती लटके।
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मंगल गीत सुनाओ, बंदनवार बंधाओं।
ल्याया थारी चुंदड़ी करलयो मां स्वीकार
मोटी सेठानी म्हारो बेड़ो पार लगानो पडसी ये
चंदन चौक पुरावां, मंगल कलश सजावां।
जगदंबा थे तो आकर ओढो ए, सेवक ल्याया मां थारी चूंदड़ी।
सरब सुहागन मिल मंदीरिए में आई
कर चेत मेरी मैया, क्यूं देर लगावे हैं।
हंसा चाले तो ले चालूं रे झुंझनू नगरी।
मां अबकी हमारी बारी हो
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