चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
Tag: Chandravansh me nandgaw me pragate nand Kumar
यमुना किनारे मेरा गाँव, साँवरे आ जाना।
एकली ने घेरी वन में आज,
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
माखन कितने तेरे चोर , नन्द किशोर, मन मोहन,घनश्याम रे।
चंद्रवंश में नंद गांव में, प्रगटे नंद कुमार।
मेरे राम वन वन भटक रहे,मेरी सिया गई तो कहां गई।
बारी सी उमरिया औ धानी सी चुनरिया
दशरथ के राजकुमार,
वन में फिरते मारे मारे,
मेरी छोड़ अवध नगरी, वन राम जो जायेंगे
नंद भवन में उड़ रही धूल,धूल मोहे प्यारी लगे।
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