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Tara boli re sawariya kaise gujri,अवधपुरी के राजा हरिश्चंद्र, हो गए ऐसे दानी,

अवधपुरी के राजा हरिश्चंद्र, हो गए ऐसे दानी

अवधपुरी के राजा हरिश्चंद्र, हो गए ऐसे दानी
एक पल में सब दान है दीना, धन्य है राजा रानी ।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
ले ली सत्य की परीक्षा, कैसे गुजरी,
तारा बोली रे सांवरिया, कैसे गुजरी,


राजा बिक गए रानी बिक गई, बिक गए रोहित कुमार।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
साठ भार का सोना बिक गया ,काशी के बाजार।तीनों छोड़ी है नगरिया, कैसे गुजरी।
तारा बोली रे सांवरिया, कैसे गुजरी।

पंडितराजा करते चौबीस घंटे, मरघट की रखवाली।
मेरा बेटा कुवर कन्हैया, मांजे लोटा थाली
पानी भरे तारा रनिया, कैसे गुजरी।
तारा बोली रे सांवरिया, कैसे गुजरी।

पंडित बोला रोहित दास से,फूल तोड़कर लाना।
भगवन की हमें पूजा करना,जल्दी लौट के आना।
रोहित दौड़े फूल बगिया ,कैसी गुजरी।
तारा बोली रे सांवरिया, कैसी गुजरी।

फूल तोड़ने गया है रोहित,डस लिया काला नाग।
चढ़ा जहर है गिरा भूमि पर ,फूटा उसका माथ।
खबर पाई तारा रनिया ,कैसे गुजरी।
तारा बोली रे सांवरिया ,कैसे गुजरी।

रानी रोई शोर मचाई , राजा खबर ना पाए ।
ऐसी रात की अंधेरियां ,कैसे गुजरी।
तारा बोली रे सांवरिया ,कैसे गुजरी।

मेरे बेटे कुंवर कन्हैया ,जरा नैन तो खोलो।
तुम्हें आ गई कैसी निंदिया ,कैसे गुजरी।
तारा बोली रे सांवरिया ,कैसे गुजरी।

राजा बोला रानी से मरघट, का कर्ज चुकाओ।
फाड़ी रानी ने चुनरिया, कैसे गुजरी।
तारा बोली रे सांवरिया ,कैसे गुजरी।

प्रकट हुए तब श्री हरि विष्णु ,उठ गए रोहित कुमार।
बोले धन्य हो राजा रनिया ,कैसे गुजरी।
तारा बोली रे सांवरिया, कैसे गुजरी।

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