अब मन भज ले राधेश्याम,बुढ़ापा बैरी आवेगाे।
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मंदिरों से मां ने टेलीफोन किया है।
ओ झुँझन वाली माँ,
क्या खेल रचाया है,
म्हारे री बगड़ में
आइये मेरी मां
नैया है मझधार श्याम इसे,
पार लगा जाओं
गली गली एलान होना चाहिए, हर मंदिर में श्याम होना चाहिए।
तीनों लोकों में गूँजा है जयकारा माँ का
मंदिर है काली का पर्दा है जाली का, पर्दा हटा लो मेरी मां मैं दर्शन करने आई ।
धन्य वह घर ही है मंदिर,
जहाँ होती है रामायण,
भरोसे हम तो बाबा के,
जो होगा देखा जाएगा
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