झूठ बराबर पाप नहीं है रे,सच बराबर तप कोन्या
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।
मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे।
म्हारी सोहनी चिड़ी,म्हारी रूपां री चिड़ी।
बोल सुआ राम राम,मीठी मीठी वाणी रे।
बिनजारी ये हंस हंस बोल,प्यारी प्यारी बोल। बातां थारी रह जासी।
दुःख में मत घबराना पंछी,ये जग दुःख का मेला है।
एक डाल दो पंछी बैठह्या,कोन गुरु कुन चेला
समय को भरोसो कोनी,कद पलटी मार जावे।
बुढ़ापा बैरी, किस विध हाेसी थारो छुटबो।
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