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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Ek daal do panchi baitha,nirgun Bhajan, एक डाल दो पंछी बैठह्या

एक डाल दो पंछी बैठह्या,कोन गुरु कुन चेला

एक डाल दो पंछी बैठह्या,कोन गुरु कुन चेला।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 गुरु की करणी गुरु भरेगा, चेला की करणी चेला रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला। हो ओ ओ।

माटी चुन चुन महल बनाया, लोग कहे घर मेरा।२। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ना घर तेरा ना घर मेरा, चिड़िया रैन बसेरा रे भाया,🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी, जोड़ भरिया रे थैला।२। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹कहत कबीर सुनो भाई साधो, संग जाए ना धेला रे भाया। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

माता कहे ये पुत्र हमारा, बहन कहे ये वीरा। भाई कहे ये भुजा हमारी, नारी कहे नर मेरा। रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

देह पकड़कर माता रोए,बांह पकड़कर भाई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹लिपट लिपट कर तिरिया रोए,हंस अकेला जाई रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

जब तक जिए माता रोए, बहन रोए दस मासा। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बारह दिन तक तिरिया रोए, फिर करें घर बासा रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

चार गजी चादर मंगवाई, चढ़ा काठ की घोड़ी। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹चारों कोने आग लगाई, फूंक दियो जस होरी रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

हाड जले हो जैसे लकड़ी, केस जले जस धागा। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹सोना जैसी काया जल गई, काम ना आया पैसा रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

घर की तिरिया ढूंढन लागी, ढूंढ फिरी चहूं देशा। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹कहत कबीर सुनो भाई साधो, छोड़ो जग की आशा रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

पान पान में बांध लगाया, बाद लगाया केला। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹कच्चे पक्के का मर्म न जाने, तोड़ा फूल कंदेला रे भाया। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

ना कोई आता ना कोई जाता, झूठा जगत का नाता। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ना कोई की बहन भांजी, ना कोई की माता अरे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

ड्योढी तक तेरी तिरिया जाए,खोली तक तेरी माता।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मरघट तक सब जाए रे बाराती,हंस अकेला जाता रे भाया।🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

एक तई ओढ़े दो तई ओढ़े,ओढ़े मलमल धागा। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹शाल दुशाला कितना ही ओढ़े, अंत स्वांस मिल जाला रे भाया। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी, जोड़े लाख पचासा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 नंगा आया है नंगा जाएगा, साथ न जाए कोई पैसा। रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

माटी से आया रे मानव, फिर माटी में मिलेला।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 किस-किस साबुन से तन को धोया, तन को कर दिया मेला रे भाया। उड़ जा हंस अकेला।

माटी का एक नाक बनाकर, पूजे लोग लुगाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 जिंदा नाग जब घर में निकले, ले लाठी धमकाया रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

जिंदा बाप को कोई न पूजे, मेरे बाप पुजवाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मुट्ठी भर चावल लेकर, कौवे को बाप बनाया रे भाया। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

बेचारे इंसान को देखो, गजब हुआ रे हाल।जीवन भर तो नंगा घुमा, मरे उढाई शाल रे भाया। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

इस माया नगरी में रिश्ता, है तेरा और मेरा। मतलब के संगी और साथी, मतलब ने है घेरा रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

प्रेम प्यार से बनते रिश्ते, अपने हुए पराए। अपने सगे तो उनको जानो, काम वक्त पर आए रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

यह संसार कागज की पुड़िया, बूंद पड़े गल जाना। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹यह संसार कांटो की बगिया, उलझ उलझ मर जाना रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला।

जीवनधारा बह रही है, बहरों का है मेला। बूंद पड़े यह तन गल जाए, तन है माटी का ढेला रे भाया। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

माता पिता भाई बंधु सब, मिले चौरासी माही। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बिना सेवा और बंदगी, फिर मिलने को नाही रे भाया। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

जिसको सब दुनिया कहे, वो है दर्शन मेला। एक दिन ऐसा आएगा, छूटे सारा झमेला रे भाया। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹उड़ जा हंस अकेला।

एक डाल दो पंछी बैठह्या,कोन गुरु कुन चेला।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 गुरु की करणी गुरु भरेगा, चेला की करणी चेला रे भाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उड़ जा हंस अकेला। हो ओ ओ।

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