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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Jite bhi lakdi marte bhi lakdi, जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी,nirgun bhajan

जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।

जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 क्या जीवन क्या मरण कबीरा खेल रचाया लकड़ी का।

जिसमें तेरा जन्म हुआ था वो, पलंग बना था लकड़ी का। माता तुम्हारी लोरी सुनाए, वो पलना था लकड़ी का।🌹🌹🌹🌹🌹जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।

पढ़ने चला जब पाठशाला में, लेखन पाटी लकड़ी का। गुरु ने जब जब तुम्हें धमकाया, वह डंडा था लकड़ी का।🌹🌹🌹🌹🌹जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।

जिसमें तेरा ब्याह रचाया, वह मंडप था लकड़ी का। जिस पर तेरी सैया सजाई वह पलंग था लकड़ी का। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।

डोली पालकी और जनाजा, सब कुछ बना है लकड़ी का। जन्म मरण के इस मेले में, है सहारा लकड़ी का।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।

उड़ गया पंछी रह गई काया, बिस्तर बिछाया लकड़ी का। एक पलक में खाक बनाया, ढेर था सारा लकड़ी का। 🌹🌹🌹जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।

मरते दम तक मिटा नहीं भैया, झगड़ा झगड़ी लकड़ी का। राम नाम की रटन लगाओ,तो खेल खतम है लकड़ी का।🌹जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।

क्या राजा क्या रंग मानुष संत, अंत सहारा लकड़ी का। कहत कबीर सुनो भाई साधो, ले ले तंबूरा लकड़ी का।🌹🌹🌹🌹🌹🌹जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।

जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का।

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