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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Kis vidh hosi tharo chutbo,nirgun bhajan, किस विध हाेसी थारो छुटबो

बुढ़ापा बैरी, किस विध हाेसी थारो छुटबो।

किस विध हाेसी थारो छुटबो,बुढ़ापा बैरी, किस विध हाेसी थारो छुटबो।

नैन थकया अब सुझत नाही, दांत गया सब खोला।रामजी दांत गया सब खोला।🌹🌹नाक झूरे सुनवा को घाटो,कान हो गया बोला।हो रामा कान हो गया बोला रे।🌹🌹🌹🌹🌹किस विध हाेसी थारो छुटबो।बुढ़ापा बैरी, किस विध हाेसी थारो छुटबो।

डगमग डगमग गर्दन हाले,हाथ में लिन्हिं गेटी।रामजी हाथ में लिन्हिं गेटी।🌹🌹🌹🌹🌹पांव थक्या अब चल्यों नही जावे,उमर हो गई टेढ़ी।हो रामा उमर हो गई टेढ़ी।🌹🌹🌹🌹।

खारो खाटो भावे नाही, नरम खिचड़ी भावे रामजी नरम खिचड़ी भावे। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹रुखो सूखो भावे नाही,मन मीठा पर जावे।हो रामा मन मीठा पर जावे रे।🌹🌹🌹🌹🌹 किस विध हाेसी थारो छुटबो।बुढ़ापा बैरी, किस विध हाेसी थारो छुटबो।

बेटा पोता कहयो नहीं माने, बहू रा भरमाया। राम जी बहु रा भरमाया। लूखा सुखी जइयां खालयो, कांई रे कमायके ल्याया।रामजी कांई रे कमायके ल्याया रे। किस विध हाेसी थारो छुटबो।बुढ़ापा बैरी, किस विध हाेसी थारो छुटबो।

बेटा पोता रोज मनावे,कद मरसी यो ड़ाकी।रामजी कद मरसी यो ड़ाकी। खाय सकां नहीं पैरी सकां नहीं, हिड़ो कर कर थाकि।रामजी हिड़ो कर कर थाकि रे। किस विध हाेसी थारो छुटबो।बुढ़ापा बैरी, किस विध हाेसी थारो छुटबो।

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