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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Mat soch musafir re ram kare so howe,nirgun Bhajan, मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे

मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे।

मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे।कोई सौवे सुख की निंदा, कोई झुर झुर रोवे रे। मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे।

धर्मी कर्मी नेमी धेमी, तूं बड़भागी भारी।महल मालिया बाग बगीचों,खुशियां री फुलवारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नार सुपातर सुंदर बेटो२, गूंज रही किलकारी।सगा संबंधी से ना पूरे,चोखी करनी थारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹सुख को सूरज चमके२,मेहर दाता की होवे रे२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹कोई सौवे सुख की निंदा, कोई झुर झुर रोवे रे।मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे।

कुन की नजर लगी है घर में, समय बुरो यो आयो।पतझड़ आगी पालो पडग्यों, हरयों भरयों मुरझायो।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹काल थी आंगन खुशी की किरणा२,आज अंधेरों छायों।बुरे बखत री मार जगत में,रोक नही कोई पायो। 🌹🌹🌹🌹🌹जद बाड़ खेत ने खाय२,खेत रो के होवे।कोई सौवे सुख की निंदा, कोई झुर झुर रोवे रे।मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे।

हंसो छोड़ चालयों काया ने,वो पड़ी रह जावे।स्वार्थ का सब नाता रिश्ता,दो गज ज़मीं ना पावे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बेटो बिल्खे फाटे छाती२, भायड़ कह मत जावे।रोक सके रे कोई किन्ने, सेट्टो एकदींन आवे। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹माटी मिले माटी में,२,माटी ने क्यूं रोवे।🌹कोई सौवे सुख की निंदा, कोई झुर झुर रोवे रे।मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे।

मत सोच मुसाफिर रे,राम करे सो होवे।कोई सौवे सुख की निंदा, कोई झुर झुर रोवे रे।

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