मारा हंसला रे चालो शिखरगढ़,
काया कोठड़ी में रंग लागो।
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हर देश में तू, हर वेश में तू
तेरे नाम अनेक,तू एक ही है।
कोई लाख करे चतुरायी,करम का लेख मिटे ना रे भाई
हरि हरि बोल तू तर जायेगा
चुनरिया मेरी ऐसी रंगदो रंगरेज,
जो धोए से होय ना सफेद।
मौको कहाँ ढूंढे है रे बन्दे मैं तो तेरे पास में
चल हंसा उस देश ,समंद जहां मोती