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विविध भजन

Har desh me tu har vesh me tu tere naam anek tu ek,हर देश में तू, हर वेश में तूतेरे नाम अनेक,तू एक ही है

हर देश में तू, हर वेश में तू
तेरे नाम अनेक,तू एक ही है।

हर देश में तू, हर वेश में तू
तेरे नाम अनेक,तू एक ही है।
तेरी रंग भूमि यह धरा,
सब खेल और मेल में तू ही है।

सागर से उठा बादल बनके,
बादल से गिरा जल हो कर के।
वर्षा से बही, नदिया हो कर,
फ़िर जा के मिली,सागर बन कर।

मिट्टी से अणु ,परमाणु बना,
धरती ने रचा, पर्वत उपवन ।
सौंदर्य तेरा चहुँ, ओर दिखा,
कुछ और नहीं, बस तू ही दिखा ।

है रूप अलग, गुण धर्म अलग,
है मर्म अलग, हर कर्म अलग ।
पर एक है तू , यह दृष्टि मिली,
तेरे भिन्न प्रकार तू एक ही है ।

हर देश में तू, हर वेश में तू
तेरे नाम अनेक,तू एक ही है।
तेरी रंग भूमि यह धरा,
सब खेल और मेल में तू ही है।

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