चल हंसा उस देश ,
समंद जहां मोती रे।
मोती समंद जहां मोती ,
समंद जहां मोती रे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
चल हंसा उस देश निराला ,
बिन शशि भान रहे उजियारा।
जहा लागे ना चोट काल की,जगामग ज्योति रे।चल हंसा उस देश ,समंद जहां मोती रे।
जब चलने की करी तैयारी ,
माया जाल फंस्या अतिभारी।
करले सोच विचार ,घड़ी दोय होती रे।🌺🌺चल हंसा उस देश ,समंद जहां मोती रे।
चाल पड्या जद दुविधा छूटी,
पिछली प्रीत कुटुंब से टूटी।
हंसा भरी उड़ान,हंसनी रोती रे।🌺🌺🌺चल हंसा उस देश ,समंद जहां मोती रे।
जाय किया समंद में बासा ,
फेर नहीं आवण की आशा।
गावै भानीनाथ ,मोत सिर सोती रे।🌺🌺चल हंसा उस देश ,समंद जहां मोती रे।