मौको कहाँ ढूंढे है रे बन्दे, मैं तो तेरे पास मे।🌺🌺🌺🌺
ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकान्त निवास में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काशी कैलाश मेें।मौको कहाँ ढूंढे है रे बन्दे मैं तो तेरे पास में।
ना मैं जप मे ना मैं तप में, ना मैं व्रत उपवास में।
ना मैं क्रियाकर्म में रहता, ना ही योग सन्यास में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मौकोे कहाँ ढूंढे है रे बन्दे मैं तो तेरे पास में
नहीं प्राण में नहीं पिण्ड में, ना ब्रह्मांड आकाश में।
ना मैं भृकुटी भंवर गुफा में, सब श्वासन की श्वास में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मौको कहाँ ढूंढे है रे बन्दे मैं तो तेरे पास में
खोजि होय तो तुरंत मिलि हौं, पल भर की तलाश में।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, मैं तो हूं विश्वास में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मौको कहाँ ढूंढे है रे बन्दे मैं तो तेरे पास में।