म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।
Tag: Apni vani me amrit ghol
पियाजी री वाणी मत बोल,
बाबा जी नैण रसीला, ज्यूँ अमृत का प्याला जी,
कोयल वाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा,
कैसा सुंदर हिरन वनों में चरने आया है।
में वन का मोर बन जाऊं,और गाऊं राधे राधे।
ओ श्याम जी हमें ना भुलाना,
अपनी शरण में दे दो ठिकाना,
मैया कर ले विश्राम जाई बन में।
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी
मेरे राम वन वन भटक रहे,मेरी सिया गई तो कहां गई।
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