जो कोई पियाजी री प्यारी सुने रे,
देवे थारी चोँच ने मरोड़,
पप्पियाँ पियाजी री वाणी मत बोल,
जो कोई पियाजी री प्यारी सूणे रे,
जो कोई रेवणी सामळे रे,
देवे थारी चोंच ने मरोड़,
पप्पियाँ पियाजी री वाणी मत बोल,
पियाजी री वाणी मत बोल,
चोँच कताओं पप्पिया थारी, ऊपर घालूँ लूण।
पिवजी म्हारां म्हें पीया री,
तू कुन केवण वाळो रे पपैय्या,
पियाजी री वाणी मत बोल,
पियाजी री वाणी मत बोल,
पतिव्रता पीहर बसे, हृदय पियो रो ध्यान ।
थारां वचन सुहावणा,
ऐ तू पीयू पीयू करे रे पुकार,
चोंच मुंडाऊँ थारी सोवणी रे,
तू म्हारे सिर रो मोर पपैय्या,
पियाजी री वाणी मत बोल,
पियाजी री वाणी मत बोल,
म्हारां पियाजी ने पतियाँ भेजूँ,
ये तू पंछी ले जा,
जाये पियाजी ने यू कहिजे रै,
आप बिना धान नहीं भावे रे पप्पियाँ,
पियाजी री वाणी मत बोल,
पियाजी री वाणी मत बोल,
मीरा दासी व्याकुल भई,
पिवजी मिला दे मोर,
बेगा मिलो रे म्हारां अंतर्यामी,
तुम बिन रहियो नहीं जाव पप्पियाँ,
पियाजी री वाणी मत बोल,
पियाजी री वाणी मत बोल,
जो कोई पियाजी री प्यारी सुने रे,
देवे थारी चोँच ने मरोड़,
पप्पियाँ पियाजी री वाणी मत बोल,
ब्रहणी बैठी पीहर में ,
पियो बसे परदेश ।
खान पान सब त्यागिया रे ,
त्यागिया वस्त्र वेश पियाजी ,
उभी मैं सरवर तीर ।
नैणां सूं ढलक्यो नीर पियाजी ,
उभी मैं सरवर तीर ॥
धूणी धूखे ज्यूं काळजो रे ,
जळ जळ गयो रे शरीर ।
मछली ज्यूं तड़फत फिरूं रे ,
कद होसी समदर सीर पियाजी ,
उभी मैं सरवर तीर ॥
नैणां सूं ढलक्यो । ….
सूता नी आवे नींदड़ी रे ,
जागू तो नहींरे सुहाय ।
विरह काले नाग ज्यू रे ,
काढ काळजो खाय सजन म्हारा ,
उभी मैं सरवर तीर ॥
नैणां सूं ढलक्यो । ….
बेदरदी पिया दया नहीं आई रे ,
विरह गयो रे लगाय ।
कयो चरणों रे माँय राखसु जी ,
अध बिच दीवी छिटकाय पियाजी ,
उभी मैं सरवर तीर ॥
नैणां सूं ढलक्यो । ….
रूपस्वरूप आपरो है ,
ज्यां ने झुर रही ब्रहणी अनेक ।
सिमरत दासी आपरी रे ,
अरे दया हमारी देख सजन म्हारा ,
उभी मैं सरवर तीर ।
नैणां सूं ढलक्यो । ….