कार्तिक के जाते ही मन में चाव चढ़ गया,
Tag: Angana me nach rahe chote se Hanuman Ji
कंचन कांच का बणिया रे हनुमान,
चांदी की म्हारी दुर्गा माता।
सिया से कहे हनुमाना रे,
माँ क्यों सिंदूर लगाया,
जाओ मेरे हनुमान बूटी ले आओ।
आंगन में तुलसी लगाना हमारी सखी।
कीर्तन मे अब रंग बरसने वाला है,
अंगना में नाच रहे छोटे से हनुमान जी।
मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल, सखिरी बड़ो प्यारो है,
सबकोई झूमो नाचो गाओ,सबकोई मिलकर खुशियां मनाओ।
ओ पवन पुत्र बजरंग बली, श्री राम दूत हनुमान, आसरो थारो है।
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