मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल, सखिरी बड़ो प्यारो है।
अंखियां मटकाये जब, सुबह को जागे। जब मैं नहलाऊं, मेरे हाथों से भागे।🌺🌺🌺 बड़ी मुश्किल से,२, करूं मैं संभाल। सखीरी बड़ो प्यारो है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल, सखिरी बड़ो प्यारो है।
भोग जब लगाऊं, मुझे टुकुर टुकुर देखे।फल जो चढ़ाऊं, बाको मोरे पे ही फेंके।🌺🌺🌺आंके मोटे मोटे फूल जाए गाल,सखिरी बड़ो प्यारो है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल, सखिरी बड़ो प्यारो है।
सारा दिन चुपके चुपके, मस्ती मनावे। शाम जो ढले तो, मुरली सुनावे।🌺🌺🌺🌺🌺इनकी मुरली पर जाऊं बलिहार,सखिरी बड़ो प्यारो है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल, सखिरी बड़ो प्यारो है।
नित नई लीला करके, रहता यह मौन है। श्री हरिदासी का, इसके सिवा कौन है।🌺🌺🌺 हुई इनकी में छोड़ जंजाल,सखिरी बड़ो प्यारो है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मेरो छोटो सो लड्डू गोपाल, सखिरी बड़ो प्यारो है।