कंचन कांच का बणिया रे हनुमान,
चांदी की म्हारी दुर्गा माता।
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आए बैठे कौशल्या की गोद, राम चंद दूल्हा बने।
राम नाम की लूट मची तू ले नै लूट मेरी बहना।
डाल रही वरमाला अब तो जानकी,
जय बोलो जय बोलो सीताराम की,
शबरी देख रही है बाट,रामजी मेरे आयेंगे
मेरे राम, दया के सागर हैं,
मेरी विगड़ी बनाओ, तो जाने।
रानी रे तेरे तीनो वचन खराब से, बेकार से, जो राम ते दगा करेगी।।
बोलो श्री राम जय राम जय जय राम
सजा दो घर को गुलशन सा, मेरे सरकार आये हैं,
जय जय जय हनुमान जी राम राम