यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे।
न मानी आज्ञा मात पिता की,अपनों का किया अभिमान,राम हमें कैसे तारोगे।
यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे।
न करी सेवा सास ससुर की, पति का किया अभिमान,राम हमें कैसे तारोगे।
यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे।
न किया आदर देवर जेठ का, बेटे का किया अभिमान,राम हमें कैसे तारोगे।
यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे।
न करी सेवा गौ माता की, काया का किया अभिमान,राम हमें कैसे तारोगे।
यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे।
न करी सेवा साधु संत की, मैया का किया अभिमान,
राम हमें कैसे तारोगे
यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे
न करी सेवा गुरुदेव की, भक्ति का किया अभिमान
राम हमें कैसे तारोगे
यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे
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Yahi soch din raat,ram hame kaise taroge,यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे,
यही सोच दिन रात राम हमें कैसे तारोगे।