कोई पीवे, संत सुझान,
नाम रस मीठा रे
Category: विविध भजन
आधी रे रात फिकर मे ढलगी ,
होया रे पहर का तङका।
पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी।
मेरे कंठ बसो महारानी,
छेल चतुर रंग रसिया रे भंवरा,
पर घर प्रीत मत कीजे,
श्याम झूले, हनुमत झूले, झूलें शंकर त्रिपुरारी,
प्रेम नगर मत जा ए मुसाफिर
प्रेम नगर मत जा।
सत्संग की महिमा मुबारक हो।
थाने कठे भालवा जाऊ रे सावरीयो घट माय रे
चार बहु ये मेरे आगी, वे बोले माजी माजी।
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