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Satsang ki mahima Mubarak ho,सत्संग की महिमा मुबारक हो

सत्संग की महिमा मुबारक हो।

सत्संग की महिमा मुबारक हो
सदा सत्संग की महिमा, मुबारक हो मुबारक हो।

जगत को जलता देख करके, प्रभु ने ज्ञान घटा भेजी।भुजावे ताप क्रिय को, मुबारक हो मुबारक हो।

सत्संग की महिमा मुबारक हो।
सदा सत्संग की महिमा, मुबारक हो मुबारक हो।


शोक संशय सब भागे, गरजना सन्तों की सुनकर।
वर्षावे ज्ञान अमृत को, मुबारक हो मुबारक हो।

सत्संग की महिमा मुबारक हो।
सदा सत्संग की महिमा, मुबारक हो मुबारक हो।

बिना जप योग तप यज्ञ के, सत्संग भव तारण है गंगा।
समागम सन्तों का ऐसा, मुबारक हो मुबारक हो।

सत्संग की महिमा मुबारक हो।
सदा सत्संग की महिमा, मुबारक हो मुबारक हो।

भव सिन्धु पार होने का, जहाज सत्संग है जग में।
खवैया महात्मा साधु, मुबारक हो मुबारक हो।

सत्संग की महिमा मुबारक हो।
सदा सत्संग की महिमा, मुबारक हो मुबारक हो।

हजारों खल कुटी पापी, सत्संग से तीर गये पारा।भगत फिर भी तिरते जाते हैं,मुबारक हो।मुबारक हो।

सत्संग की महिमा मुबारक हो।
सदा सत्संग की महिमा, मुबारक हो मुबारक हो।

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