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Piwo prem ras jhina re sadhu Bhai piwo prem ras jhina,पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी

पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी।

पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी।अरे भवसागर री धारा देखनी मनमाना हठ लिंहा जी ओ।

भक्त पिला दे प्रेम रस पीना,हरी नाम रट लीना ओ साधु भाई,हरी नाम रट लीना जी ओ।🌺🌺भक्ति रे कारण पिता ने त्याग्या,संत हुआ परबीणा ओ साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी ओ।

पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी।अरे भवसागर री धारा देखनी मनमाना हठ लिंहा जी ओ।

भक्त ध्रुव जी प्रेम रस पीना,नारद मुनि गुरु किन्हा ओ साधु भाई नारद मुनि गुरु कीना जी ओ।वासुदेव रंडियागढ़ भीतर,झटक दर्शन किना ओ साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी ओ।

पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी।अरे भवसागर री धारा देखनी मनमाना हठ लिंहा जी ओ।

भक्त विभीषण प्रेम रस पीना, राम का दर्शन कीना हो साधु भाई,राम का दर्शन कीना जी ओ।अरे राम जाय रावण ने मारियो राज विभीषण दिनां ओ साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी ओ।

पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी।अरे भवसागर री धारा देखनी मनमाना हठ लिंहा जी ओ।

बाई मीरा ने प्रेम रस पीना, पति राणा ने तजी दिना ओ साधु भाई,पति राणा ने तजी दिना जी ओ। जहर का प्याला राणा भेजिया, विष ने अमृत कर दीना ओ साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी ओ।

पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी।अरे भवसागर री धारा देखनी मनमाना हठ लिंहा जी ओ।

आत्मानंद गुरुवर समझावे, किन विध प्रेम रस पीना ओ साधु भाई,किन विध प्रेम रस पीना जी ओ।मोहनानंद गुरु प्रेम रस पीना,हरी वचना में दिना ओ साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी ओ।

पीवो प्रेम रस झीना रे साधु भाई,पीवो प्रेम रस झीना जी।अरे भवसागर री धारा देखनी मनमाना हठ लिंहा जी ओ।

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