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विविध भजन

Bina jiw ki kamni ke Hoya achanak ladka,आधी रे रात फिकर मे ढलगी ,होया रे पहर का तङका

आधी रे रात फिकर मे ढलगी ,
होया रे पहर का तङका।

आधी रे रात फिकर मे ढलगी ,
होया रे पहर का तङका।
बीनाजीव की कामणी के ,
होया अचानक लङका।

उस लङके का जन्म हुआ ,
तब तीन लोक गबराये।
ब्रह्मा विष्णु शिवशंकर भी ,
दर्शन करने आऐ।
खबर पड़ी जब ऋषि मुनी को ,
द्वारे चल कर आऐ।
अष्टसिद्धि ओर नव नीधी भी ,
वाका मंगल गाए।
उस लड़के का जन्म हुआ जब ,
काल बली गबरायै ,
बीनाजीव की कामणी के ,
होया अचानक लङका।

काम देव वाके पहरे उपर ,
चारु वीका साथी।
अश्ठवधु ओर ग्यारा रुद्र भी ,
सेवा मे तैनाती।
देव गति भी बेठ द्वार पे ,
अनहद साज बजाती।
बावन भेरू छपन कलवे ,
गाया करे था परभाती।
उस लड़के को भूख लगी तब ,
खा गया पेङ वो बङका।
बीनाजीव की कामणी के ,
होया अचानक लङका।

अग्नि देवता पका रसोइया ,
भोग लगाया करता।
ईन्द्र देवता जल बरसाकर ,
चलु कराया करता।
पवन देवता पवन चला कर ,
रोज सुलाया करता।
बे माता तो बर्तन माजे ,
देके तीसण रगड़ के।
बीनाजीव की कामणी के ,
होया अचानक लङका।

सब देवा मे उस लड़के का ,
देखा ठंग अजब का।
गंगा रे जमना अङशषठ तीरथ ,
फेरे धरम की माला।
चांद सुरज ओर तारा मंडल भी ,
रोज उजाला करता।
वेद शास्त्र की लिखी बतावे ,
लीखमी गाटी वाला।
उसको रे गुणया हम जानेंगे ,
भेद बताये जिनका।
बीनाजीव की कामणी के ,
होया अचानक लङका।

आधी रे रात फिकर मे ढलगी ,
होया रे पहर का तङका।
बीनाजीव की कामणी के ,
होया अचानक लङका।

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