सिया बनी दूल्हन, दूल्हा रघुराई।
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सिया से कहे हनुमाना रे,
माँ क्यों सिंदूर लगाया,
डाल रही वरमाला अब तो जानकी,
जय बोलो जय बोलो सीताराम की,
मेरी मैया के दो बोल प्यारे प्यारे। वह तो है जिंदगी के सहारे
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी
मै कहाँ बिठाऊं राम, कुटिया छोटी छोटी सी।
मेरे राम वन वन भटक रहे,मेरी सिया गई तो कहां गई।
मंदिर में मैया भक्तों से झगड़ी।
तू क्यों नहीं लाया रे मेरी लाल चुनरी।
राम लखन दोनों भैया, बिहाने सीता मैया, मुनि के संग आए हैं
मईया मैं तेरी पतंग।।
हवा विच उडदी जावांगी
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