जितना राधा रोई रोई कान्हा के लिए,
Tag: Aaja aaja re kanhayi
कान्हा कान्हा कब से पुकारू हर पल तोरी राह को निहारु,
सुन मेरे कान्हा,
ज़रा ये बताना,
खफा हमसे तू क्यूँ हो गया,
सुनो कान्हा कि ओ मैया, तेरा कान्हा सताता है,
बेदर्दी ओ कान्हा कब तक तड़पाओगे।
मतवारी गुजरिया थोड़ा सा दही दे जाइयो
कदम तले आय जइयो, कटीले काजर वारी,
सांवली सूरत मुख चंदा,भजो रे मन गोविंदा।
बन गए वैद मुरारी रे बीमार भई राधा।
तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ के, अब तेरा साथ नहीं छूटे।
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