सुनो कान्हा कि ओ मैया, तेरा कान्हा सताता है,
वो मटकी फोड़ता मेरी, वो माखन भी चुराता है,
वो मटकी फोड़ता मेरी, वो माखन भी चुराता है।
सुनो कान्हा कि ओ मैया,तेरा कान्हा सताता है,सुनो कान्हा कि ओ मैया, तेरा कान्हा सताता है,
मैं सखियों संग जाती हूं, जहां से नीर भरने को,
तेरा लाला वहां आता है, हमसे बातें करने को,
तेरा लाला वहां आता है हमसे बातें करने को,
बात उसकी न मैं मानूं, तो हमसे रूठ जाता है,
सुनो कान्हा कि ओ मैया तेरा कान्हा सताता है,
वो मटकी फोड़ता मेरी, वो माखन भी चुराता है।
मैं जाती हूं जो मधुवन को, तो सुध ही भूल जाती हूं,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
देख कर मोर सा मुखड़ा, मैं तो झूम जाती हूं,
देख कर मोर सा मुखड़ा, मैं तो झूम जाती हूं,
वो लेकर बांसुरी अपनी, वहां हमको नचाता है,
सुनो कान्हा कि ओ मैया तेरा कान्हा सताता है,
वो मटकी फोड़ता मेरी वो माखन भी चुराता है।
बिना आहट किए मैया, मैं तो घर से निकलती हूं,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कहीं आ जाये ना छलिया, मैं ऐसी राह चुनती हूं,
कहीं आ जाये ना छलिया मैं ऐसी राह चुनती हूं,
मैं चुपके से निकलती हूं,मगर वो जान जाता है,
सुनो कान्हा कि ओ मैया तेरा कान्हा सताता है,
वो मटकी फोड़ता मेरी वो माखन भी चुराता है।
करूं विनती यही मैया, कन्हैया को मना लेना,
न उलझे राहों में हमसे, उसे इतना बता देना,
न उलझे राहों में हमसे उसे इतना बता देना,
चैन आ जायेगा हमको, अगर वो मान जाता है,
सुनो कान्हा कि ओ मैया, तेरा कान्हा सताता है,
वो मटकी फोड़ता मेरी,वो माखन भी चुराता है।