बेदर्दी ओ कान्हा कब तक तड़पाओगे। बिन हमारे एक पल भी चैन नहीं पाओगे।
छोड़कर गोकुल को मथुरा चले जाओगे। जाकर के कुब्जा से प्रीत तुम लगाओगे।🌺🌺🌺🌺बेदर्दी ओ कान्हा कब तक तड़पाओगे। बिन हमारे एक पल भी चैन नहीं पाओगे।
दिल की लगी को तुम किस तरह भूलाओगे।उनकी मीठी बातों में,हमको तुम भुलाओगे।बेदर्दी ओ कान्हा कब तक तड़पाओगे।🌺🌺 बिन हमारे एक पल भी चैन नहीं पाओगे।
तुमको तो अकेले में मेरी याद आएगी।आसुओं की बारिश में तन को भीगोवोगे।🌺🌺🌺🌺बेदर्दी ओ कान्हा कब तक तड़पाओगे। बिन हमारे एक पल भी चैन नहीं पाओगे।
मैं तो तेरी दासी हूं जन्मों की प्यासी हूं। आकर के मोहन तुम कब गले लगाओगे।🌺🌺🌺बेदर्दी ओ कान्हा कब तक तड़पाओगे। बिन हमारे एक पल भी चैन नहीं पाओगे।