तन धर सुखिया कोए ना देखा,जो देखा सो दुखिया जी
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
एक दिन घोघड आसी रे।
मनवा लाग्या मेरा राम फकीरी मेँ।
मन तू सतसंग करले भाई, आधी मे पुनिआध,
काया का पिंजरा डोले रे, सांस का पंछी बोले रे।।
ये जिंदगी धोखा दे जाएगी, करले भजन हरि का।
उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।
हंसा निकल गयो पिंजरे से,खाली पड़ी रही तस्वीर। जब यमदूत लेन को आये,नैक धरे न धीर,मार मार के जान निकले,बहे नैन से नीर।हंसा निकल गयो पिंजरे से,खाली पड़ी रही तस्वीर। हंसा निकल गयो पिंजरे से,खाली पड़ी रही तस्वीर। कोई रोवे कोई मल-मल धोवे,कोई उढावे चीर। चार जने जब मिलकर ले गये,ले गये मरघट तीर। हंसा […]
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,वही ये सृष्टि चला रहे है।
बहन मेरी बनी हवेली चार, राम गुण में ना गाऊँगी।
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